नज़रों को बदलते देखा है,
रिश्तों को बदलते देखा है।।
अब समझ में आई है अमीरी गरीबी,
मैंने अहसासो को करीब से बदलते देखा है।।
गुरबत में जीकर देखा है,
रिश्तों के कुरबत में जीकर देखा है।।
बिना माल ओ जर के,
मैंने अरमानों को सीने में सीकर देखा है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ