कैसे-कैसे तर्क लेकर हम तो बस जीते रहे,
जो नहीं था अपना हम उनपे ही मरते रहे!
नाप आकर ले गया जो मारने के वास्ते ,
उसी क़ातिल के साथ हम बेखबर सोते रहे !!
रूसवा करके क्या मिला मुझको मेरे घर में ही,
हर क़दम पे काम जबकि उनके ही आते रहे !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है