तुम्हारे घर पधारे और तुमने सीधे नही देखा।
इधर-उधर देखते रहे पलटकर भी नही देखा।।
रिश्ता मांगने आये बिना कुछ सुने लौट गये।
सीधे मुँह बात नही की इशारा भी नही देखा।।
इधर-उधर से पता चला डिप्रेशन का शिकार।
इसीलिए गूंगा बना था कुछ बोलते नही देखा।।
काफी हद तक इलाज मिल रहा है 'उपदेश'।
इन सब के बावजूद हँसता खेलता नही देखा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद