रास्ते में पड़े हुए पत्थर को बाधा माने,
चाहें तो उस पत्थर को सीढ़ी बना चढ़ जायें।
जीवन का आनन्द वही लोग उठा पाते हैं।
जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है।
पुरुषार्थ से पुरुष की पहचान होती है।
मानव की मानवता ही महान होती है।
हार करके बैठना ना नाम जिन्दगी।
अनहद के पार वीर की उड़ान होती है।
विश्वास दृढ़ विश्वास ना मानव का हिला है।
बढ़ चले कदम तो डर किसका भला है।
शंखनाद दृढ़ संकल्प सागर देते रास्ता।
दिग्गज भी डोलते जब पुरुषार्थ चला है।
स्थान कायर के लिए दुनिया में नहीं है।
कर्मयोगी की कर्मभूमि रणभूमि यही है।
कर्म योगी नित्य करते श्रेष्ठ कर्म की तलाश।
कर्मभूमि यही है धर्मभूमि यही है।
विनम्र हों, विनम्रता में समाहित है गति।
सरल रहें, सरलता में निहित है प्रगति।
जिज्ञासु बनें , ज्ञानता में है साधना।
साधक बनें, साधु मन ही भगवद् प्रार्थना।।
मेहनत कर, हल मिलेगाआज नहीं तो कल ,
अर्जुन सा लक्ष्य मेहनत से रेगिस्तान में जल निकलेगा।
नर हो निराश नहीं कोशिश कर मंजिल पा।
सकारात्मक सोच दृढ़ संकल्प का कोई सानी नहीं।
स्वरचित
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




