बचपन के दिन क्या गए यादें छोड़ गए।
वक्त गुजारने के लिए रिश्ता जोड़ गए।।
छोटी छोटी खुशी जोड़कर आमिर हुए।
तेरे बदन की खुशबू से नाता जोड़ गए।।
वरदान की तरह हासिल किया तुझको।
तेरी मीठी मुस्कान से वास्ता जोड़ गए।।
कुरीतियां तोड़कर कदम तुमने बढ़ाया।
कदमों का मेरे घर से रास्ता जोड़ गए।।
आजाद आकाश के नीचे मिले 'उपदेश'।
और फिर हम दोनों को हँसता छोड़ गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद