हे श्री कृष्ण!
वासुदेव, कन्हैया,
मित्र,हृदय प्रिय,
खत लिखता हूँ,
लाखों तुमको,
मन ही मन में लिख लेता हूँ,
आप तो अन्तर्यामी हो प्रभु,
फिर भी,
मन ही मन में लिख लेता हूँ,
मन ही मन में अर्पण आपको,
आपको मिल जाते हैं पता है,
बस उसी के लिए यहाँ लिख रहा हूँ,
आपने मेरे हर लिखे हुए खत का,
बहुत खूब बखूबी जबाब दिया,
हाथ गले में डाले जैसे,
आज अभी तक चलते आये,
चलते रहिएगा आगे भी,
अनवरत, निरंतर, क्षमा पूर्ति करते हुए,
मैं तुच्छ इंसान हूँ,
आपकी ही एक कृति,
गलतियों को माफ़ करके,
दोस्ती को बनाये रखना,
हे सखा! हे मित्र!
हे कृष्ण! हे वासुदेव!
आपने साथ अपना हाथ,
सदैव बनाये रखना।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




