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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

हे श्री कृष्ण! वासुदेव कन्हैया मित्र हृदय प्रिय - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

हे श्री कृष्ण!
वासुदेव, कन्हैया,
मित्र,हृदय प्रिय,
खत लिखता हूँ,
लाखों तुमको,
मन ही मन में लिख लेता हूँ,
आप तो अन्तर्यामी हो प्रभु,
फिर भी,
मन ही मन में लिख लेता हूँ,
मन ही मन में अर्पण आपको,
आपको मिल जाते हैं पता है,
बस उसी के लिए यहाँ लिख रहा हूँ,
आपने मेरे हर लिखे हुए खत का,
बहुत खूब बखूबी जबाब दिया,
हाथ गले में डाले जैसे,
आज अभी तक चलते आये,
चलते रहिएगा आगे भी,
अनवरत, निरंतर, क्षमा पूर्ति करते हुए,
मैं तुच्छ इंसान हूँ,
आपकी ही एक कृति,
गलतियों को माफ़ करके,
दोस्ती को बनाये रखना,
हे सखा! हे मित्र!
हे कृष्ण! हे वासुदेव!
आपने साथ अपना हाथ,
सदैव बनाये रखना।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'     हे श्री कृष्ण! वासुदेव      कन्हैया      मित्र     हृदय प्रिय      खत लिखता हूँ      लाखों तुमको      मन ही मन में लिख लेता हूँ      आप तो अन्तर्यामी हो प्रभु      फिर भी      मन ही मन में अर्पण आपको      आपको मिल जाते हैं पता है      बस उसी के लिए यहाँ लिख रहा हूँ      आपने मेरे हर लिखे हुए खत का      बहुत खूब बखूबी जबाब दिया      हाथ गले में डाले जैसे      आज अभी तक चलते आये      चलते रहिएगा आगे भी      अनवरत      निरंतर      क्षमा पूर्ति करते हुए      मैं तुच्छ इंसान हूँ      आपकी ही एक कृति      गलतियों को माफ़ करके      दोस्ती को बनाये रखना      हे सखा! हे मित्र! हे कृष्ण! हे वासुदेव! आपने साथ अपना हाथ      सदैव बनाये रखना। 


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

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वन्दना सूद said

यकीन हैं मुझे कि इतने सुंदर मन के भाव जरूर कान्हा जी के पास पहुँच गए होंगे 🙏🙏कृष्ण सदा सहायते 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

बहुत आभार आदरणीय प्रसंशा के लिए, सादर प्रणाम

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, अतिसुंदर भक्ति भाव से ओत-प्रोत रचना। श्री कृष्ण तो प्रेम भावों के भूखें है। आपकी प्रार्थना में इतना प्रेम है कि वे अवश्य कृपा करेंगे।
🌹🌹🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं समीक्षा के लिए विशेष आभार

रीना कुमारी प्रजापत said

हृदय प्रिय रचना👌👍🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं समीक्षा के लिए विशेष आभार

ललित दाधीच said

वाह वाह बहुत सुंदर 🎉

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं समीक्षा के लिए विशेष आभार

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। उस परमसत्ता को मित्र के रूप में चित्रित करना अद्भुत।👌👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय को सादर प्रणाम एवं समीक्षा के लिए विशेष आभार

शिल्पी चड्ढा said

भक्ति रस से परिपूर्ण रचना सीधे हृदय में उतरती है|लाजवाब|

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपकी बेहतरीन समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार - आदरणीय को सादर प्रणाम

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