इक दर्द जो मुझसे जुदा न हुआ,
तेरा प्यार था या दवा न हुआ।
हम साँस में ढूँढते रहे उसको,
जिसका कहीं भी पता न हुआ।
मरने का दिल ने किया था इरादा,
पर जीने का भी हौसला न हुआ।
छूते रहे हम तेरी यादों को,
मगर पास उनका क़िला न हुआ।
तन्हाइयाँ मुस्कुराती रहीं बस,
दिल का कोई भी गिला न हुआ।
आँखों में सावन लिए घूमते हैं,
किसी ने मगर भीगा न हुआ।
हर राह पे तेरा नाम पुकारा,
कहीं से भी तेरा सिला न हुआ।
अब ख़ुद से भी खफा हो चले हैं,
अब कोई शिकवा-गिला न हुआ।