छल ,कपट और पाप का फल,
इसी धरती पर भुगतना होगा।
रिश्वत की पाई -पाई का,हिसाब तुझे देना होगा।
प्रशासन बहुत सख्त है, जीवन तेरा व्यस्त है।
जेल की चारदीवारी में, अपने गुनाह याद आएंगे।
धनु तूने जो कमाया, परिवार वाले तेरे मस्त उड़ाएंगे।
जीना इसी को कहते हैं, तो सड़ -सड़ के मर।
गंदे मैले कपड़े तेरे, बढ़ती हुई दाढ़ी।
चलता था रोज, याद आ रही वो गाड़ी।
प्राण अटके है तेरे, अपने गुनाहों की माफी मांग ले।
बैठ एकांत में, प्रभु को तू पुकार ले।