"आधार बहुत है"
स्नेह नजर से देख रहे हो
इतना ही आधार बहुत है
अधर भीगे रहें हंसी से
सारी उमर हरी रखने को
इतनी ही रसधार बहुत है
क्षण क्षण स्मृति तुम्हारी
हृदय में कौंध जाती है
रोम रोम पुलकित है मेरा
स्नेह का अम्बार मिला है
जीवन नैया पार लगाने को
इतनी ही रसधार बहुत है
स्नेह नजर -----
बड़भागी है मेरा मन कितना
गाने को मृदुगान मिला है
क़र्ज़ चुका पाऊं स्नेह का
उस समर्पण की तलाश है
बरसों से जिसको ख़ोज रहीं थीं
पूजन को वो भगवान मिला है
तुम मेरे अपने लगते हो
जीवन बाती जलाने को
इतनी ही रसधार बहुत है
स्नेह नजर से ----
मौलिक रचना
✍️ अर्पिता पांडेय