जो उड़े उड़े हैं रंग चेहरे के..
तो मुस्कानों से तुम सजा लो जी..।
होली की तरंग जो उठने लगे..
अरमानों से और जगा लो जी..।
दिल का दर्द गर कुछ भारी हो..
मिलकर साथ जरा उठा लो जी..।
दुनियादारी हम भी समझ गए..
असलियत दिल में छुपा लो जी..।
अबके रंग अबीर है, ना है रंग गुलाल..
दर्पण को अपना असली रंग दिखा लो जी..।
सूरज ने लगाई है रंगों की हाट निराली..
चलकर तुम भी कुछ नया रंग लगा लो जी..

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




