देवदार चीड़ के पत्तों पर अब ये पैगाम होगा कि .....
शांति सौहार्द बिगड़ने वालों का अंजाम बुरा होगा।
झेलम चिनाब के पानी में अब शैलाब होगा कि...
कश्मीर की खूबसूरत वादियों से अब युद्ध
निर्णायक होगा।
रूह कांप उठ्ठेगी दुश्मन की कुछ ऐसा हीं हस्र ए ख़ास होगा।
हम ना डरते हैं ना डराते हैं पर छेड़ने वालों की भी नहीं छोड़ते हैं
उठने वाली हर नापाक इरादों को हम मिट्टी में मिलाते हैं..
वो जब जब भी आए बे आबरू हो कर गए
हम दुश्मनों को ऐसे बेदम करते हैं
हम हिंद हैं सिंध हैं हम सदा हिमालय जैसे
खड़े रहते हैं
हम कहां डरते हैं हम आख़री सांस तक लड़ते हैं....
आओ अब युद्ध निर्णायक करते हैं
की चैन से जीते हैं हम हम तुमको भी
चैन से जीने देते हैं..
हम आख़री सांस तक लड़ते हैं ....
हम किसी से नहीं डरते है...