Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

डरता हूँ तन्हाई से तुम कहीं याद ना आ जाओ-ताज मोहम्मद

सदा रहता हूँ भीड़ में शौक नहीं ये मजबूरी है मेरी।
डरता हूँ तन्हाई से तुम कहीं याद ना आ जाओ।।1।।

घूमता हूँ इधर उधर आजकल मैं यूँ ही रातों दिन यहाँ।
आता नहीं हूँ मैं तुम्हारें शहर तुम कहीं दिख ना जाओं।।2।।

ये मोहब्बत ही है मेरी कि तुम्हें कागज पे लिख रहा हूँ।
गर इजहार कर दूँ बोल के तुम कहीं बदनाम ना हो जाओं ।।3।।

चंद लकीरों में ही जी लेता हूँ तुम्हें आजकल लिख कर।
गर हकीकत में पास आया तो तुम कहीं बर्बाद ना हो जाओं ।।4।।

यूं तो इश्क़ में तसव्वुर का होना होता हैं लाज़िमी।
तसव्वुर तो छोड़ो मैं सोता नहीं हूं तुम कहीं ख़्वाबों में ना आ जाओं।।5।।

तेरे ही लिए मैंने ज़िंदगी अपनी कर ली है गुमनाम।
डरता हूँ गुनाहों को मेरे जानकर तुम कहीं ना डर जाओं ।।6।।

तेरे साथ बीती जिन्दगी ही बस ज़िन्दगी थी हमारी।
है गुज़ारिश उन लम्हों से इक बार फिर से ज़िन्दगी में आ जाओं।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Shyam Kumar said

बहुत खूब

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया श्रीमान जी।

रमेश चंद्र said

Waah taj shaahab..

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद भाई जी।

मोहन कुमार said

Waaah waah bahut khoob

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

Lekhram Yadav said

बीते हुए पल कभी लौटकर नहीं आते ताज भाई, रचना लाजवाब है आपकी पढ़ कर अच्छा लगा।

ताज मोहम्मद replied

अपका बहुत बहुत आभार।

Ankush Gupta said

Lazawaab kya kahne hain👌👌

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

घूमता हूँ इधर उधर आजकल मैं यूँ ही रातों दिन यहाँ। आता नहीं हूँ मैं तुम्हारें शहर तुम कहीं दिख ना जाओं Bahut khoob 👌👌

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन