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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

डरता हूँ तन्हाई से तुम कहीं याद ना आ जाओ-ताज मोहम्मद

सदा रहता हूँ भीड़ में शौक नहीं ये मजबूरी है मेरी।
डरता हूँ तन्हाई से तुम कहीं याद ना आ जाओ।।1।।

घूमता हूँ इधर उधर आजकल मैं यूँ ही रातों दिन यहाँ।
आता नहीं हूँ मैं तुम्हारें शहर तुम कहीं दिख ना जाओं।।2।।

ये मोहब्बत ही है मेरी कि तुम्हें कागज पे लिख रहा हूँ।
गर इजहार कर दूँ बोल के तुम कहीं बदनाम ना हो जाओं ।।3।।

चंद लकीरों में ही जी लेता हूँ तुम्हें आजकल लिख कर।
गर हकीकत में पास आया तो तुम कहीं बर्बाद ना हो जाओं ।।4।।

यूं तो इश्क़ में तसव्वुर का होना होता हैं लाज़िमी।
तसव्वुर तो छोड़ो मैं सोता नहीं हूं तुम कहीं ख़्वाबों में ना आ जाओं।।5।।

तेरे ही लिए मैंने ज़िंदगी अपनी कर ली है गुमनाम।
डरता हूँ गुनाहों को मेरे जानकर तुम कहीं ना डर जाओं ।।6।।

तेरे साथ बीती जिन्दगी ही बस ज़िन्दगी थी हमारी।
है गुज़ारिश उन लम्हों से इक बार फिर से ज़िन्दगी में आ जाओं।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Shyam Kumar said

बहुत खूब

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया श्रीमान जी।

रमेश चंद्र said

Waah taj shaahab..

ताज मोहम्मद replied

धन्यवाद भाई जी।

Mohan Kumar said

Waaah waah bahut khoob

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

Lekhram Yadav said

बीते हुए पल कभी लौटकर नहीं आते ताज भाई, रचना लाजवाब है आपकी पढ़ कर अच्छा लगा।

ताज मोहम्मद replied

अपका बहुत बहुत आभार।

Ankush Gupta said

Lazawaab kya kahne hain👌👌

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

घूमता हूँ इधर उधर आजकल मैं यूँ ही रातों दिन यहाँ। आता नहीं हूँ मैं तुम्हारें शहर तुम कहीं दिख ना जाओं Bahut khoob 👌👌

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया भाई जी।

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