अदभुत अनोखा रूप है ,
अनुपम छठा मेरे राघव की
पुलकित मन हर्षाया है
पर शून्य भाव है
शब्द हो गये सूने से
कैसे गुण गाऊं मैं
छवि निहारते नैना
मेरे अशुअन थरिया
भर लाये हैं ,
पइया तोरे पखारूंगी
चरण रज़ माथे सजा
नित शीश मैं नवाऊंगी
#अर्पिता पांडेय
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पुलकित मन हर्षाया है
पर शून्य भाव है
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कैसे गुण गाऊं मैं
छवि निहारते नैना
मेरे अशुअन थरिया
भर लाये हैं ,
पइया तोरे पखारूंगी
चरण रज़ माथे सजा
नित शीश मैं नवाऊंगी
#अर्पिता पांडेय