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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - तुम्हें मुझ से मोहब्बत है बता क्यूॅं नहीं देते

"ग़ज़ल"

तुम्हें मुझ से मोहब्बत है बता क्यूॅं नहीं देते?
मुझे मेरी वफ़ाओं का सिला क्यूॅं नहीं देते??

ये जो मर्ज़-ए-मोहब्बत है मुझे तुम ने दिया है!
अब दर्द-ए-मोहब्बत की दवा क्यूॅं नहीं देते??

तिरे इश्क़ में यूॅं डूबा कि खो दिया ख़ुद को!
इस ला-पता को उस का पता क्यूॅं नहीं देते??

मिरे अन्धेरे जीवन में भी हो जाए उजाला!
इन गेसुओं को चेहरे से हटा क्यूॅं नहीं देते??

हाय! ख़ुद से मुझे तुम ने यूॅं दूर जो रक्खा है!
मैं लौट के आ जाऊॅं सदा क्यूॅं नहीं देते??

इस बार का ये सावन ख़ुद प्यास का मारा है!
उसे तुम अपनी ज़ुल्फ़ों की घटा क्यूॅं नहीं देते??

अब तक ये दुनिया नहीं पहचान सकी तुम को!
तुम क्या हो ज़माने को दिखा क्यूॅं नहीं देते??

तुम्हारे साथ अब जीना मुमकिन ही नहीं शायद!
'परवेज़' को मर जाने की दुआ क्यूॅं नहीं देते??

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad

The Meanings Of The Difficult Words:-
*मर्ज़-ए-मोहब्बत = प्रेम-रोग (the ailment of love); *गेसुओं = जुल्फ़ों (tresses); *सदा = आवाज़ या पुकार (call).




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (12)

+

इक़बाल सिंह “राशा“ said

लाजवाब सर हर शेर अपने आप में मुकम्मल है खुद बखुद दूसरे पर ले जाता है बहुत बढ़िया

सुभाष कुमार यादव said

लाजवाब।👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आए हाए.... दर्द है, तन्हाई है, मोहब्बत बेशुमार है, मरने की तमन्ना में, जीने की चाहत बरकरार है।। खूबसूरत ग़ज़ल 👌👌🙏🌹 हर शेर दिल में दरिया की तरह उतरती हुई।पर ये वाली शेर ने मेरे दिल को हिलोर दिया कि --इस बार ये सावन खुद प्यास का मारा है, उसे तुम अपनी जुल्फों की घटा क्यों नहीं देते? वाह क्या बात है!!

उपदेश कुमार शाक्यावार said

ये जो मर्ज़-ए-मोहब्बत है मुझे तुम ने दिया है!
अब दर्द-ए-मोहब्बत की दवा क्यूॅं नहीं देते?? बहुत खूबसूरत रचना 👌🙏

शिवचरण दास said

ये दुनियां नहीं पहचान सकी तुमको आलमे -गज़ल-परवेज बता क्यूँ नहीं देते

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

नवाज़िश! तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, राशा जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, सुभाष जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

मेहरबानी! दिल की गहराइयों से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, मनोज जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तारीफ़ के लिए दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, उपदेश जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

इनायत! तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, दास जी! ❤️🙏

वन्दना सूद said

वाह sir 🙌🏻🙌🏻हर पंक्ति दिल को छू जाती है 👌👌लाजवाब एक दम शानदार गज़ल

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

नवाज़िश! दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, वन्दना जी! ❤️🙏

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