कापीराइट गजल
अब रात भर मुझ को, जगाता है कोई
कहानी प्यार की अपनी सुनाता है कोई
तुम से क्या बताऊं मैं कि वो कौन है
हम को आज भी अपना बताता है कोई
ठहरा हुआ है खवाब, जो दिल में मेरे
यूं उस खवाब में आ कर जगाता है कोई
मुझे गीत और गजलों का देकर वास्ता
अब हर रोज ही मुझ को
बुलाता है कोई
लेने लगा है करवटें अब दिल में मेरे
नई टीस अब दिल में, उठाता है कोई
अब कर रहा है नींद में अठखेलियाँ
अब यूं नींद में आ कर जगाता है कोई
वो डूबा हुआ है शायरी में आजकल
एक शायर वो खुद को, बताता है कोई
क्यूं हो कर भी घायल, यादव मौन है
क्यूं हर बात पर उंगली उठाता है कोई
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है