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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

भ्रूण हत्या - नेत्र प्रसाद गौतम


कन्याओं की भ्रूण हत्या न करो न करो
हे नादानों ईश्वर से तो जरा डरो
कन्या से नारी नारी से संसार है
अगर वह न हो तो ये जीवन बेकार है
बगैर उनके ये धरती है फीकी
उनसे ही सदियों से यह सृष्टि टिकी
हे नादानों अच्छी बातें मन में धरो
कन्याओं की भ्रूण हत्या न करो न करो

पैदा हो के जीना सब का अधिकार है
उनका भी तो अपना संसार है
उनसे किस बात का बदला ले रहे हो
आज भी मौत उन्हें क्यों दे रहे हो
किसी का जीवन तुम.. यूं ही न.. हरो
कन्याओं की भ्रूण हत्या न करो न करो

दुनियां में आने से पहले मौत के घाट उतार कर
क्या मिलेगा कन्या को गर्भ में ही मार कर
यह मानवता के लिए अभिशाप है
जरा सोचो समझो कितना महा पाप है
कु- विचार रखने वाले खुद तुम मरो
कन्याओं की भ्रूण हत्या न करो न करो

अगर कन्या नहीं होगी बहूएं घर में कैसे ले आओगे?
फिर जरा सोचो तो कैसे रहोगे?
जा कर किसको बेटी कहोगे?
नफरत नहीं अपने मन में प्यार भरो
कन्याओं की भ्रूण हत्या न करो न करो
कन्याओं की भ्रूण हत्या न करो न करो.......


----नेत्र प्रसाद गौतम




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut Saaf evam sundar lahze main pate ki baat kahi shrimaan ji.

डॉ कृतिका सिंह said

बेटियां तो भगवान का आशीर्वाद है उनको संभालो इतनी प्यारी रचना है भगवान की अपने दिल को छूने वाली कविता कही

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