इस रंग बदलती दुनिया में रहना तो आसान नहीं
सब कहना आसान मगर सच कहना आसान नहीं
हर रोज बदलना पड़ता है पैराहन के साथ मुखौटा
रोज पुरानी सूरत में यहां आगे बढ़ना आसान नहीं
कौन वफ़ा को याद करे आज किसी की चाहत ये
इस दुनियां में अच्छा बन इंसा रहना आसान नहीं
जाने कैसे कमल यहां खुद कीचड़ में खिल जाते हैं
पर कीचड़ में घर बनवाके बस जाना आसान नहीं
बिखरे सारे ख्वाब जहाँ उस महफ़िल का गम कैसा
दास बेचारे दिल का टुकड़ा है मिलना आसान नहीं

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




