इंसानों में दर्द है तो,
वो इंसान कहाँ हैं,
दर्द की वजह है तो,
दर्द की जुबां कहाँ हैं,
गहरा हर जगह किसी के सीने में छुपा है,
वो दर्द है तो फिर उसकी कहीं ना कहीं सुबह है,
खुद के किनारों में मिलेंगे जब मिलन होगा,
अपने आप को रूठना सिखाया है,
ये दर्द कहां से आया है,
हर साजिश छिपाई जाती है,
मौत को भी नींद दर्द में आती है।।
- ललित दाधीच।।