©कोई भी वर्ग या समूह किसी अन्य के साथ भेदभाव तभी करता है जब उसे संसाधनों पर अधिकार जमाना हो।
संसार में बांटने का कार्य एक विषय और वस्तु कर सकती है, वह है संसाधनों पर अधिकार, आज भी और आज से पहले जो कुछ भी घटनाएं या बर्बरता हमारे भारत में हुई है वो बाहरी आक्रांताओं की संसाधनों पर अधिकार की भूख और हमारे भारत के ही लालची और मीठे ठगों के कारण देश निम्नता और नंगा होकर दिखा है, भले ही देश में बहुत सी ज्वालाएं उठी हो लेकिन देश को संसाधनों के भूखों ने हमेशा ये करके दिखाया कि हमारा देश टुकड़ों में कटता जाएं, आज देश में भाषा के अधिकार नाम पर भाषा को थोड़ा मरोड़ा जा रहा है, सत्ता में भूखे नंगे विचारों वाले अपना नंगा नाच दिखा रहे हैं और जनता को जनता द्वारा बांटे जा रहे हैं, समाज में वही लोग हैं जो अपने पहनावे को शान बताते हुए औरों नंगा करते जाते हैं, अमेरिका, अंबानी और अंडानी जैसे आज देश के लोगों के मूलभूत स्तर की दीमक की तरह चाट रहें हैं, जो योग्य ही नहीं है उनको शिक्षा विभाग जैसे संवेदनशील पदों पर बिठाया जा रहा है, लोगों का रोजगार छीना जा रहा, वनरोपण जनता करें और सरकार उद्योगों को काम दे रही है जंगल के जंगल काटो, सब केवल विभाग और मंत्रालय है लेकिन उनके लिए काम की जिम्मेदारी नहीं, फिल्मों के निर्देशक और अभिनेता और अभिनेत्रियां अपने कपड़े उतार कर बता रही है कि भारत किस स्तर का है, ये सब एक ही दिशा को बता रहे हैं, संसाधन पर अधिकार, देश किस स्थिति में यह स्थिति भी नहीं है। मणिपुर जलता रहा, लेकिन विदेशों में पैर रखने वालों के कदम नहीं रूके, हर राज्य हर घर में महिलाओं, बालिकाओं के साथ क्रूरता होती रही हमारे देश के संवैधानिक पदों की चुप्पी रही, विदेशों में क़दम बढ़ते रहे, देश में आंतकवाद घर करता गया लेकिन पता था लेकिन अपने फायदे के लिए लड़ते गए, भाषा का विरोध इन पार्टियों का काम है किसी जनता का नहीं, देश में यह होता है कि देश में पढ़ें लिखे को नियुक्ति एक अनपढ़ देता है, अनाजों के दाम तय नहीं हो पाते, ए.सी रूम से निकल नहीं पाते, भारत की बुराई विदेशों में जाकर करते हैं और विदेशों की बड़ाई भारत में आकर करते हैं, केट वाक तो हो जाएगी भारत का सिंह गमन , मनुष्य कदम हो।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




