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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दख़ल देते रहते हैं

कहीं उनकी ज़िंदगी से कट ना जाए हम ,
इसीलिए उनकी मसरूफ़ ज़िंदगी में दख़ल देते रहते हैं।
कभी -कभी लगता है कि वो थक जाते हैं हमारी इस
दख़ल अंदाज़ी से,
पर क्या करें नहीं देंगे दख़ल तो उनकी ज़िंदगी से
गुमनाम हो जायेंगे हम।।

प्यार उनसे बहुत करते हैं तभी तो उन्हें सताते रहते हैं,
प्यार उनसे बहुत करते हैं तभी तो उन्हें याद करते रहते हैं।
वरना जिनसे प्यार नहीं उन्हें कौन याद करता है,
जिनसे प्यार नहीं उन्हें कौन यूं सताता रहता है।।

माना कि वो बड़े परेशान रहते हैं मेरी इस हरकत से,
माना कि वो बड़े परेशान रहते हैं मेरी इस हरकत से
पर क्या करें हरकते ऐसी नहीं करेंगे तो
उनकी ज़िंदगी में फिर कभी नहीं रहेंगे हम।
हरकते ऐसी नहीं करेंगे तो फिर उन्हें
कभी भी याद नहीं रहेंगे हम।।

थोड़ी सी तो यादें बाकी है अभी उनके जे़हन में हमारी,
कहीं वो यादें ख़त्म ना हो जाए
इसीलिए उन्हें अपनी याद दिलाते रहते हैं।
कहीं वो हमे भूल ना जाए,
इसीलिए उन्हें सताते रहते हैं।।
💫 "रीना कुमारी प्रजापत"







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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। आप दखल देते रहें और जरूर देते रहिए, वो आपका दखल पाकर भी आपको याद करते रहेंगे और हम आपकी कविता का बेसब्री से इंतजार करते रहें।

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात बड़े भय्या 🙏 बहुत बहुत शुक्रिया

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Reena Mam pranam sweekar karein🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏

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