नब्बे साल की एक वृद्धा
ज़िन्दगी जीने का नया नज़रिया दिखाते हैं
किसी की कहानी को अपनी ज़ुबानी सुनाते हैं
नब्बे साल की वृद्धा से हुई मुलाक़ात बताते हैं
आँखों का धुँधलापन
तन की दुर्बलता
यादों में यादों का ही न रहना
साँसों में उलझी उनकी ज़िन्दगी
उम्र का ऐसा नाज़ुक पड़ाव
वहीं चेहरे पर एक इंतज़ार की ख़ुशी,कुछ अजीब थी
जो किसी के आने की नहीं,अपने इस संसार से जाने की थी
कहती थी कि ज़िम्मेदारियाँ अगर पूरी हो गईं तो जाने का भी ग़म नहीं
जन्म केवल ख़ुशी नहीं, मृत्यु केवल दुख नहीं
साज-शृंगार का सामान,नए कपड़े संजो कर तैयार रहना
ऐसा उत्साह जो अपने जाने का नहीं,जैसे नए आग़ाज़ का हो
ऐसी थी वृद्धा जो हमें ज़िन्दगी को जानने उसे समझने का मक़सद दे गईं ..
-वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




