धीमी धीमी बरसाते, झरने लगे निर्झर l
पासवाले पर्बतों पे, छाने लगे बादल ll
भीगी भीगी मिट्ठी से, उठने लगी खुशबू l
ठंडी ठंडी बूंदो में, होने लगे हम बेकाबू ll
हरे हरे वृक्षों से, टपकने लगी बुँदे l
गोल गोल घूमके, पकड़के हम खेले ll
होले होले पेड़ों से, गिरने लगे पत्ते l
दूर दूर क्षितिज पर, इन्द्रधनु लगा बनने ll
भीगे भीगे पंछियों की, पलके लगी मूंदने l
ऊँची ऊँची इमारतों में, आसरा लगे वह ढूँढने ll
गंदे गंदे पानी से, बहने लगे नाले l
लाल लाल नदियाँ, चलने लगी होले ll
सूर सूर गाड़ियाँ, उड़ाने लगी पानी l
धीरे धीरे चल गोरी, भीगेगी तेरी साडी ll
छोटे छोटे घरो में, पानी लगा भरने l
चाली चाली में पानी, लोग लगे दौड़ने ll
ऐसी ऐसी बारिश, कहीं ख़ुशी कहीं गम l
कैसी कैसी बारिश, कहीं धुँवाधार कहीं रिमझिम ll
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️