जिसे बोलने का तमीज भी न था कभी
वो आज बड़ी–बड़ी बातें किया करता है,
जो रो देता था जरा सी चोट में कभी
वो आज बड़े–बड़े ज़ख्म सहा करता है,
अब रहा नहीं हुनरमंदों से कुछ सीखने की जरूरत,
ये हालात है जो सबकुछ सिखा दिया करता है..!
- कमलकांत घिरी.✍️