किसी को हद से ज्यादा, प्यार मत करना,
खुद को कभी उसका, तलबगार मत करना।
गले मिलने वाले ही पीठ पर घोंपते है छुरा,
आँख मूँद के किसी पर, एतबार मत करना।
छोड़ने वाला छोड़ता है जब मिल जाए दूसरा,
जाने वाले के लौटने का इंतजार मत करना।
मुकरने वाले तो, वादा करके मुकर जाते हैं,
दोगलों के लिए खुद को शर्मसार मत करना।
जो है कैंसर की तरह काट के फेंक दो उसे,
एक ही गलती कभी भी बार-बार मत करना।
🖊️सुभाष कुमार यादव