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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

भूली बिसरी यादें

देख कर अदा तेरा हम बहुत मुस्काए हैं बाद मुद्दत आप भी तो आज हमें नज़र आए हैं

कहने को बहुत था मगर कुछ ना कह पाए बात हम दिल की सुनाने पास तेरे आए हैं

नादां दिल को अब समझाऊं मैं कैसे ख्याल में नाम तेरा आया बताने पास तेरे आए हैं

हम ना थे वाकिफ तेरी अदाओं पे सहेज़ कर भूली बिसरी यादें कहने पास तेरे आए हैं

भूली हुई यादें अब ना करो परेशान हमें वफा की राह कुछ अर्ज करने पास तेरे आए हैं

🙏मेरी स्वरचित गज़ल भूली बिसरी यादें 🙏




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Amit Shrivastav said

Bahut hi khoobsurat gajal ha aapki.. 👏👏👍🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Shuruaat se hi shandaar ghazal mahoday... Bahut khoob "देख कर अदा तेरा हम बहुत मुस्काए हैं बाद मुद्दत आप भी तो आज हमें नज़र आए हैं"

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Muskuraiye Huzur Muskurana to banta hai aisi paristhiti me...M to kahta hu aap har paristhiti me muskuraate rahiye

प्रतिभा सिंह said

बहुत अच्छी और प्यारी ग़ज़ल!!

Sanjay Srivastva said

उम्दा प्रस्तुति👌

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