जब से धर्म का व्यवसायीकरण हो गया है
घर घर में प्रभु अब आपका लगता अवतरण हो गया है.
कोई राम बन रहा तो कोई हनुमान बन रहा है..कोई कृष्ण तो कोई ख़ुद को दुर्गा काली
बता रहा है..
सोशल मीडिया के चमक धमक में अब हर कोई चमकना चाहता है बस नाट नौटंकी करना चाहता है...जनसंख्या बहुत है इसलिए खाली बहुत हैं
गरीबी के रोना रोने वाले आई फोन के
सवाली बहुत हैं..और साथ में फ्री की डेटा भी सही है..
बस उलूल ज़लूल दिन रात देखते रहते हैं
और ऐसे लोगों की लाइक्स और सबक्राइबर को बढ़ाते हैं..
देखकर लोगों की ये चाल ऊपर वाला भी
परेशान हैं...
बरबस प्रभु लोगों के इन हरक्कतों को
देखकर मुस्कुराते हुए कह रहें है...
की इंसानों मैं आम इंसान और तुम हीं
लोग इस कलयुग के भगवान हो
की तुम हीं लोग इस भट्ठयुग के भगवान हो
भगवान तो सतयुग तक हीं थे..
अब तो अपने अस्तित्व के लिए वो भी
लड़ाई लड़ रहें हैं...
अरे इंसानों कम से कम मुझे तो बख्श दो
बस यही कह रहें हैं....
बस यही चाह रहें हैं
बस यही मांग रहें हैं....