कापीराइट गजल
उन को देख कर जब हम मुस्कुरा बैठे
बड़े ही प्यार से हमें अपना वो बना बैठे
मुस्कुराए थे हम तो उनको देख के यूं ही
इसी मुस्कान पे हमें वो दिल में बसा बैठे
हंसी थी वो ऐसी हम कुछ कह न सके
हम से पहली नजर में वो दिल लगा बैठे
उनको खामोश निगाहों से जब देखा मैंने
इसी अदा पर दिल अपना वो लुटा बैठे
मस्त कली की तरह महक रही थी वो
होश खो कर सब कुछ अपना लुटा बैठे
बड़ी कातिल थी निगाहें जब देखा हमने
दिल की दुनियां वो निगाहों में बसा बैठे
मर मिटे हैं हम पर वो जिस तरह यादव
ना जाने कब हमें अपना खुदा बना बैठे
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है