हरिया - भाई दरिया जरा देखना लिखन्तु डाॅट काॅम पर ये क्या शोर हो रहा है।
दरिया - भाई जी शायद आपको मालूम नहीं है कि लिखन्तु परिवार वाले खुशियां मना रहे हैं, उसी का शोर है ये।
हरिया - ये ऐसी कौन सी खुशी मनाई रहे हैं।
दरिया - भाई जी शायद आपको मालूम नहीं है, लिखन्तु के मैनेजर अशोक कुमार पचौरी आर्द्र जी दो दिन पहले बीमार होकर इमर्जेंसी वार्ड में भर्ती थे वे आज स्वस्थ होकर वापस लौट आए हैं और दूसरे सावन का महिना शुरू हो गया है, वे इसी बात की दोहरी खुशी मना रहे हैं।
हरिया - ओह, तो ये बात है, फिर तो यहां रोज महफिल सजने वाली हैं और मस्ती होने वाली है
दरिया - हां भाई जी आप बस देखते रहो, क्या-क्या होता है।
हरिया - और यहां क्या-क्या होने जा रहा है।
दरिया - सुना है सबसे ज्यादा बेचैनी वेदव्यास मिश्र, रीना कुमारी प्रजापत और लेखराम यादव को हो रही थी, पता है क्यों, क्योंकि यही सब अशोक कुमार पचौरी आर्द्र के लिए सबसे जयादा दुआ कर रहे थे और साथ ही गीत, गजल और कविताओं के साथ लिखन्तु परिवार को दिलासा भी दे रहे थे।
हरिया - लगता है ऊपर वाले ने दवा उपचार के साथ-साथ इनकी दुआएं भी कुबूल कर ली हैं।
दरिया - हां भाई जी, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है।
हरिया - तो फिर इसी खुशी में आप हमारे पाठकों को क्या सुना रहे हो।
दरिया - भाई जी सुनाने को तो बहुत कुछ है, लेकिन आज सावन की रिमझिम बारिश में एक मस्ती भरा गीत सुनाने को मन कर रह है, कहो तो सुनाऊं।
हरिया - रीना मैम और लेखराम यादव भी कुछ ऐसे ही मस्ती के बारे में बात कर रहे थे।
दरिया - हां भाई जी, आर्द्र साहब के आने की खुशी में एक मस्ती भरा गीत पेश है -
ले ले जी सा यार मेरे, इस मीठी मीठी बारिश का
ये वक्त गुजर न जाए कहीं प्यार भरी इस ख्वाहिश का
करती हैं बूंदें टप टप दिल लगता है हल्का-हल्का
बूँदों की टप टप में मुझ पर छाने लगता है एक नशा
ये नशा उतर न जाए कहीं प्यार की पहली बारिश का
ये वक्त गुजर न जाए कहीं प्यार भरी इस ख्वाहिश का
सीने से लगा लूं मैं तुझको जी करता है हलके-हलके
तुझको बसा कर आंखों में बन्द कर लूं मैं अपनी पलकें
ये पलकें खुल न जाए कहीं इनमें है बादल बारिश का
ये वक्त गुजर न जाए कहीं प्यार भरी इस ख्वाहिश का
जा छुप जा अय चांद कहीं अपने महबूब से मिलने दे
बरसों से प्यासी धरती पर दो फूल प्यार के खिलने दे
ये फूल न मुरझा जाए कहीं सावन की पहली बारिश का
ये वक्त गुजर न जाए कहीं प्यार भरी इस ख्वाहिश का
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
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