हर मामले में वो एक अच्छी दोस्त साबित हुई,
मगर एक मामले में वो भी बाकियों जैसी निकली।
मैंने हमेशा उसे सच बताया,
पर वो उसे मज़ाक मानती रही।
जब तक उसे मज़ाक लगा,थी मेरे साथ,
जिस दिन उसे यकीं हुआ वो भी छोड़ चली गई।
वो जिस तरह मेरे सच को मज़ाक मानती थी,
मुझे पूरा यकीं था कि एक दिन ये भी
साथ छोड़ जायेगी।
जब मैं कहती थी वो यकीं ना करती थी
और कहती थी पागल है क्या?
पर अब यकीं हुआ तो बिना कुछ कहे ही
हमेशा के लिए मुझसे दूर हो गई।
--- रीना कुमारी प्रजापत ✍️