कुछ तो ख्वाब आंखों में पालना सीखो
जीतना है तो कभी कभी हारना सीखोI
हमेशा जमाना कहाँ याद रखता है भला
बेहतर नेकीकर दरिया में डालना सीखोI
गिरते को उठा देना बड़ा अच्छा है बेशक़
पर खुद को जरा पहले संभालना सीखोI
इल्जाम लगाना आसां है किसी पर यहाँ
दास खुद भी तो आईने में झांकना सीखो।
जमीं आसमां हवा दरख्त परिंदे जीव जंतु
सब पुकारते हैं जो दिल से आंकना सीखो II