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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वो जबसे ख्यालों में आने लगे हैं

कापीराइट गीत

वो, जब से ख्यालों में, आने लगे हैं
वो आंखों से निंदिया चुराने लगे हैं

हवाओं, में खुशबू, महकने लगी है
इन, घटाओं में मस्ती, छाने लगी है
अब, सांसें, हमारी, बहकने लगी हैं
वो सपनों में आ कर जगाने लगे हैं
वो आंखों से निंदिया ..............

इन, आंखों में मस्ती, छाने लगी है
ये, खामोशियां, भी, बुलाने लगी हैं
न जाने हमें अब ये क्या हो गया है
अब उन से ही नजरें, चुराने लगे हैं
वो आंखों से निंदिया ...............

कलियां भी अब मुस्कुराने लगी हैं
वो भंवरों को नगमें सुनाने लगी हैं
मेरी, नींदें न जाने, कहां खो गई हैं
वो ख्यालों में दुनियां बसाने लगे हैं
वो आंखों से निंदिया ...............

अब, नींदों में आंखें, जगने लगी हैं
यूं सवालों में रतियाँ, कटने लगी हैं
इस, दिल पर, काबू, मेरा अब नहीं
अब धीरे से दिल में, समाने लगे हैं
वो आंखों से निंदिया ...............

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Super song👌🙏💐 Happy parents day

Lekhram Yadav replied

हैपी पैरेंट्स डे मेरी प्यारी बहना। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद और हार्दिक प्रणाम।

कमलकांत घिरी said

अहा! लगता है आज रात भर सोए नहीं हमारे यादव सर जी, सोएं भी कैसे आंखों की निदिया जो चोरी हो गई है🤭 बेहतरीन गीत सर जी👌, 🙏प्रणाम🙏 मातृ पितृ दिवस की ढेरों बधाईयां 💐🙏🙏

Lekhram Yadav replied

हैपी पेरेंट्स डे, आपको कमलकांत भाई और बाकी सभी पाठकों को भी हैपी पेरेंट्स डे। आपकी प्रतिक्रिया इस गीत से भी बेहतरीन है, भाई। आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद।

रमेश चंद्र said

Sundar prastuti

Lekhram Yadav replied

हैपी पेरेंट्स डे रमेश जी, इस रचना पर कमेंट करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Maahi Singh said

Uttam prastuti

Lekhram Yadav replied

हैपी पेरेंट्स डे माही सिंह जी, धन्यवाद सहित स्वागत है आपका।

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