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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

धर्म और योग

धर्म और योग
धर्म कोई बंदिश नहीं है
यह जीवन जीने की कला भी सिखाता है
नीति-नियम और योग का एक आधार भी है।
प्रभु में श्रद्धा भक्ति वालों के लिए आस्था है,
और तन को स्वस्थ,पुष्ट,पवित्र बनाने के लिए योग है ।
सुबह जल्दी उठ कर प्रभु को याद करना आस्था है,
तो जल्दी उठकर प्रकृति के शान्त वातावरण में ध्यान लगाना योग है।
पूजा पाठ करना अगर संस्कार है भक्ति का,
तो नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलना योग ही है ।
सूर्य को जल चढ़ाना श्रद्धा है,
तो यह योगाभ्यास की एक कला भी है
कुछ पल आँख मूँद कर मंत्र उच्चारण करना आस्था के साथ अपने आप से मिलने का अभ्यास भी है ।
धर्म कोई भी हो अंधविश्वास नहीं है ,
जीवन में निर्भयता,आत्मविश्वास ,स्वास्थ्य और पवित्रता देने का आधार भी है॥
वन्दना सूद


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

शिवचरण दास said

बिल्कुल सही

वन्दना सूद replied

🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

योग केवल तन को ही स्वस्थ नहीं रखता अपितु मन को भी स्वस्थ रखता है।योग दिवस के सम्मान में आपने खूबसूरत रचना लिखी। वाह।🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏😊

श्रेयसी said

बिल्कुल सत्य वचन 🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

उपदेश कुमार शाक्यावार said

वाह क्या बात हैं

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir जी 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! आपने धर्म और योग के बीच के सुंदर संतुलन को इतनी सहजता और स्पष्टता से बयान किया —
हर पंक्ति जैसे जीवन जीने की सच्ची राह दिखा रही है, अद्भुत! 🙏🕉️✨
अति सुन्दर,आदरणीय Mam, को सादर प्रणाम

वन्दना सूद replied

शुक्रिया अशोक जी 🙏🙏😊

कमलकांत घिरी said

वाह क्या ख़ूब पंक्ति है धर्म कोई बंदिश नहीं है
यह जीवन जीने की कला भी सिखाता है... बहुत ही सुंदर रचना मैम 👌🙏 आपको मेरा सादर प्रणाम 🙏

वन्दना सूद replied

सादर प्रणाम 🙏🙏कमल जी

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