धर्म और योग
धर्म कोई बंदिश नहीं है
यह जीवन जीने की कला भी सिखाता है
नीति-नियम और योग का एक आधार भी है।
प्रभु में श्रद्धा भक्ति वालों के लिए आस्था है,
और तन को स्वस्थ,पुष्ट,पवित्र बनाने के लिए योग है ।
सुबह जल्दी उठ कर प्रभु को याद करना आस्था है,
तो जल्दी उठकर प्रकृति के शान्त वातावरण में ध्यान लगाना योग है।
पूजा पाठ करना अगर संस्कार है भक्ति का,
तो नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलना योग ही है ।
सूर्य को जल चढ़ाना श्रद्धा है,
तो यह योगाभ्यास की एक कला भी है
कुछ पल आँख मूँद कर मंत्र उच्चारण करना आस्था के साथ अपने आप से मिलने का अभ्यास भी है ।
धर्म कोई भी हो अंधविश्वास नहीं है ,
जीवन में निर्भयता,आत्मविश्वास ,स्वास्थ्य और पवित्रता देने का आधार भी है॥
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




