मेरी भुजाओं में फड़कती शक्ति।
हृदय में अपार तुम्हारी ही भक्ति।।
राह बना सकती पहाड़ तोड़कर।
प्यार करते हुए पाँव दबा सकती।।
गुलाबी अधरों का रस चूस कर।
नदी की धारा को भी मोड़ सकती।।
कोई माने या ना माने तुम जानो।
मेरे कंधों पर संसार मुट्ठी में क्रांति।।
झूठ बोलना सीखा नही 'उपदेश'।
होठों पर गीत तुम्हारे साथ शांति।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद