पानी की पुकार
शिवानी जैन एडवोकेट (Byss)
सूखी धरती, प्यासे पेड़,
बहती नदियाँ, रोते खेद।
पानी बिन जीवन अधूरा,
हर जीव की आशा, ना हो धूरा।
बूँद-बूँद को तरसे नयन,
जल संरक्षण ही, अब है जतन।
व्यर्थ न बहने दो यह धार,
पानी की पुकार, सुनो एक बार।
कल-कल करती नदियाँ सूखें,
तालाब, कुएँ भी अब रूखें।
भूमिगत जल भी घटता जाए,
आने वाला कल, संकट लाए।
जागो, उठो, करो प्रयास,
जल बचाओ, यही है आस।
हर बूँद है जीवन का सार,
पानी की पुकार, सुनो हर बार।