तो अब समझ गया
सुनते हो?
' नहीं '
बतलब बहरे हो
' नहीं '
कुछ कहते हो?
' नहीं '
मतलब गूंगे हो
' नहीं '
तो देखते होंगे?
' नहीं '
मतलब अंधे हो
' नहीं '
मतलब गांधी जी के बंदर हो
' नहीं '
तो अब समझ गया -
तुम ' सरकार' हो।
रचनाकार
रामवृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर भारत