दिल की गहराई में जब कोई उतर जाता है
पता हीं नहीं चलता दिन कैसे गुज़र जाता है
पांँव पड़ते नहीं ज़मीं पर चेहरे छोड़ते नहीं दर्पण
रात लगती दुल्हन सी बिन पीये हीं सुरुर छाता है
फ़िकर नहीं मतवालों को लाख सताये ज़माना
साथी हो गर साथ तो ख़ुद पर ग़ुरूर आता है