वो ऐसी खबर हर तरफ फैलाए हुए।
हमारे जुमले भी है दूध के नहाए हुए।।
खून पसीने की तोड़ कर क्या करोगे।
पाच किलो राशन की बीन बजाए हुए।।
दिखावे की महारत में चोरी का तड़का।
हर कीमत पर सरकार को बनाए हुए।।
टेक्स के जाल में उलझाया गरीब को।
उसके ऊपर बेरोज़गारी को चढ़ाए हुए।।
पूंजीपतियों के भरोसे चौथी अर्थव्यवस्था।
मन की बात में 'उपदेश' खूब सुनाए हुए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद