शीर्षक:बदलाव
ज़िंदगी के झरोखे से देखूं अगर,
रंग दुनिया बदलती नज़र आ रही!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे....
बदलती ऋतुएं , बदलते मौसम
बदलती बहारें, बदलता समां
बदलती हवाएं, बदलती फिजाएं
बदलती सनम की अजब-सी अदाएं!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे....
बदलते नज़ारे, समां के सितारे
वो फूलों की रंगत बदलती हुई,
दरख्तों की काया बदलती हुई,
अपनों की फितरत बदलती हुई!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे.....
अब कहां हैं वो मौसम बरसात के?
वो मिट्टी की ख़ुशबू बदल-सी गई
अब नदियों की रौनक कहां वो रही?
देश-दुनिया निरंतर बदल-सी रही
ख़ुद में पाता हूं मैं एक ठहराव-सा!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे......
जिंदगी के झरोखे से देखूं अगर,
रंग दुनिया बदलती नज़र आ रही!
~अभिषेक_शुक्ल'✍️