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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बदलाव

शीर्षक:बदलाव

ज़िंदगी के झरोखे से देखूं अगर,
रंग दुनिया बदलती नज़र आ रही!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे....
बदलती ऋतुएं , बदलते मौसम
बदलती बहारें, बदलता समां
बदलती हवाएं, बदलती फिजाएं
बदलती सनम की अजब-सी अदाएं!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे....
बदलते नज़ारे, समां के सितारे
वो फूलों की रंगत बदलती हुई,
दरख्तों की काया बदलती हुई,
अपनों की फितरत बदलती हुई!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे.....
अब कहां हैं वो मौसम बरसात के?
वो मिट्टी की ख़ुशबू बदल-सी गई
अब नदियों की रौनक कहां वो रही?
देश-दुनिया निरंतर बदल-सी रही
ख़ुद में पाता हूं मैं एक ठहराव-सा!
बदलते हुए सब नज़र आ रहे......
जिंदगी के झरोखे से देखूं अगर,
रंग दुनिया बदलती नज़र आ रही!

~अभिषेक_शुक्ल'✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

फ़िज़ा said

Uttam Rachna👌👌

Abhishek Shukla said

Dhanyawad Fiza ji🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Abhishek Sir sare badlaaw nazar aagye aapki ankhiyon ke jharoke se hame bhi..🙏🙏Pranam sweekar karein

Abhishek Shukla said

Dhanyawad ....Pranam🙏

Arpita pandey said

Nice lines

रमेश चंद्र said

अति उत्तम रचना

Abhishek Shukla said

Dhanyawad @arpita ji

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