कापीराइट गजल
नशे में आज मुझे फिर से बहकने दे साकी
तू इतनी पिला मुझे के, होश रहे ना बाकी
बना के जाम कोई अपने हाथों से पिला दे
अगर मैं होश में रहा, तो कहेंगे लोग शराबी
कोई भी नहीं मुझ सा, मजबूर यहां पर
किसी पे जोर मेरा अब, चलता नहीं साकी
अगर तुम भी आज मुझ से, रूठ जाओगी
अब नहीं है सिवा इस के, मेरा कोई साथी
नर्क सी जिन्दगी में अब, रक्खा ही क्या है
आखिरी जाम कोई ऐसा, तू पिला दे साकी
मेरा नहीं है किसी से, यहां पे वास्ता कोई
मैं जिन्दा न रहूं जाम ऐसा, बना कोई साकी
अन्जाम यही होता है, पीने वालों का यादव
क्या छोड़ जाएगा ये, और क्या रहेगा बाकी
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




