मेरा इश्क और तेरा इश्क दोनों एक ही है,
तुझ से मैं इश्क करना कैसे छोड़ दूं,
क्योंकि तुम तो मेरी उम्र भर की खोज है,
रखना मुझे अपनी बांहों में रात भर,
अब कुछ लम्हों से मेरा मन भरता नही है,
मैं अपनी जिंदगी, अपना गम संभाल लूंगा
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'