जो आपके लबों को
यूँ छू लिया मैंने,
बरसों के बाद आज ही,
जी लिया मैंने !!
जो आपके साँसों से,
गुजर गया आज मैं,
ऐसा लगा अमृत,
कलश को पी लिया मैंने !!
काबू रहा ना ज़िस्म में,
ना धड़कनों में कोई !!
ऐसा लगा बिजली को,
कोई छू लिया मैंने !!
अब न जाना और कहीं,
बस साथ में रहो !!
पाकर के तुमको यूँ लगा,
सब पा लिया मैंने !!
- वेदव्यास मिश्र की प्यासी😍कलम से
सर्वाधिकार अधीन है