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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - नींद कहां आई हमको

कापीराइट गजल

नींद कहां आई हम को यादों की शहनाई में
डोल रहा मन का पंछी यादों की गहराई में

नींद लिए आंखों में, जैसे सदियां गुजर गई
जाग उठे ख्वाब मेरे यादों की अंगड़ाई में

बीती हैं मेरी रातें संग चंदा और सितारों के
ढूंढ रहा था जैसे कोई पलकों की परछाई में

याद कहां रहता ये नींद घुली थी आंखों में
आंख मिचौनी जब खेले मेरे संग तन्हाई में

तरस रही थी कब से यादव आंखें ये सोने को
उड़ जाती है नींद मेरी रह रह कर तन्हाई में

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

वन्दना सूद said

बहुत खूबसूरत दिलकश गज़ल 👌👌👏👏🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

धनयवाद एवं सुप्रभात सहित सादर नमस्कार वन्दना जी।

श्रेयसी said

बहुत खूबसूरत रचना। सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏 शादी बहुत-बहुत मुबारक सपरिवार को और नए सदस्य को हार्दिक शुभकामनाएंँ 🙌🙌

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार, आपको भी शुभ कामनाएँ।

कमलकांत घिरी said

बहुत ही बेहतरीन गज़ल सर जी 👌 आपको बारम्बार प्रणाम🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद कमलकांत भाई, मगर आप "आई बसन्त" गजल पढ़ते तो मुझे और अधिक खुशी होती। आपको सादर नमस्कार।

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