भ्रष्टाचार के रैंगते कीड़े-
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
भ्रष्टाचार की नाली में,
दिन- रात कीड़े रैंगते हैं।
फाइलों में घुसकर यह,
न्याय को खाते हैं।
न्याय की लड़ाई, आसान नहीं है।
लेकिन हार नहीं मान सकते।
यह भ्रष्टाचारी है,
इसे नकार नहीं सकते।
बैठकर एक ही पत्ते पर तीनों कीड़े,
राग अलापते हैं।
वह दिन दूर नहीं कि भ्रष्टाचार की बाढ़ में,
नजर आएंगे जेल के तालाब में।
जिसका जल स्वच्छ एवं साफ है।