धूल फांकी बहुत जमाने की
अब घड़ी है हुनर दिखाने की
जुगनु कोशिश कर रहे हैं बड़ी
सूरज को आइना दिखाने की
सिर्फ एक तीर हों निशाने कई
तो है तारीफ कुछ निशाने की
कोई अपना हो या पराया दास
हमको है आदत गले लगाने की
तुम्हारे नाम पे कुर्बान हो गए हैं
तुम्हारी है आदत हंसी उडाने की ••