न्याय का तराजू - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
अदालतों में लटके हैं,
फैसले सालों से।
न्याय मिलने की आस,
धीरे-धीरे मर रही है।
कानून के जानकार,
खुद कानून तोड़ते हैं।
न्याय का मंदिर,
अब अंधकार में डूबा है।
बेगुनाहों को सजा,
अपराधियों को छूट।
न्याय का तराजू,
अब तिरछा हो चुका है।
समाज में बढ़ रहा है गुस्सा,
बढ़ रहा है आक्रोश।
न्याय की मांग,
अब एक जोरदार रोश।