कैसे माँ के कर्ज़ को उनका फर्ज बता दें
माँ शब्द का क्या मोल करें हम
यह केवल एक रिश्ता नहीं है
हमारे चरित्र को दर्शाए ऐसा भाव है
एक जीवन के आग़ाज़ की नयी राह है
हर पल की हमारी गुरु है
हमारे सुख-दुख की दवा है
दुआ बनकर सदा हमारे साथ है
कैसे उनके कर्ज़ को उनका फर्ज बता दें..
जिन्हें बोलना नहीं सिखाया किसी ने
हाथ पकड़ कर चलना नहीं सिखाया
कभी मुँह में निवाला नहीं खिलाया
रात-रात भर जाग कर सुलाया नहीं
ममता भरी गोद में कभी सिर नहीं रखवाया
लाड-प्यार और कभी गुस्से से हक़ नहीं जताया
बताओ जा कर उन्हें कि माँ ऐसी होती है
कैसे उनके कर्ज़ को उनका फर्ज बता दें..
जो बिन कुछ बोले सब कुछ जान जाती है
जो बिन कुछ कहे हमारी आँखें पढ़ लेती है
हमारे शब्दों से हमारे दिल की गहराई नाप लेती है
हम क्या कहें, कैसा है अस्तित्व माँ का
जब भगवान ने भी अपने से ऊपर दर्जा माना माँ का
बेशक सब रिश्ते बदल गए आज
जो नहीं बदला न कभी बदलेगा वो केवल यही एक रिश्ता है
कैसे उनके कर्ज़ को उनका फर्ज बता दें..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




