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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

यूं ही कुछ लिख दिया था-ताज मोहम्मद

यूं ही कुछ लिख दिया था,
मैनें तुम्हारे बारे में,,,
मुझे क्या पता था,
तुम बदनाम हो जाओगे!!!

बेखबर था उस गुनाह से,
जो मुझसे हुआ है अन्जानें में,,,
किसी को ना पता था,
उसकी सजा तुम पाओगे!!!

हो सके तो माफ कर देना,
तुम मुझे नादां समझकर,,,
वर्ना हर वक्त तुम मुझे,
ख्यालों में आकर तड़पाओगे!!!

वकार में बर्फ से उजले,
बड़े आला हो तुम,,,
यूं फालतू की अफवाहों से,
तुम ना रुसवा हो पाओगे!!!

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Shyam Kumar said

Waah taaj bhai ...bahut bdiya.🤝🤝👏👏

प्रभाकर said

बहुत बढ़िया माफीनामा है भाईसाहब 👌

रीना कुमारी प्रजापत said

माशा अल्लाह!!!

रमेश चंद्र said

Itni khubsurti se kisi se maafi mangege aap...to jarur hi aapko maaf kr denge.👏👏

Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर ताज भाई, आप लिखिए और जरूर लिखिए, हम तो पहले से ही आवारा और बदनाम हैं। अब हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। आप लिखने की कोशिश कोशिश करते रहिए और हम पढ़ते रहेंगे। आपको हार्दिक प्रणाम।

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