उसकी याद आई शाम उदास कर गयी,
दूर थे जो गम उसे और पास कर गयी।
जब तक थे साथ मधुर था हर अहसास,
दूरियाँ, क्यों रिश्तों को खटास कर गयी।
मैं मानता था, वो हर पल मेरे साथ ही है,
तभी तनहाई आई और उपहास कर गयी।
वो मेरी चाहत है, उसका कुछ पता नहीं,
गुजरी एक खुशबू, मुझे सुबास कर गयी।
उसके लहजे में सुनी जो मैंने मेरी ग़ज़ल,
उसकी आवाज मुझे, बदहवास कर गयी।
🖊️सुभाष कुमार यादव