यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले
जैसे बगियाँ में बहार है खिले
यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले
मन भागे तर्को में सवार होके
जैसे हवा झूमे अनल पर सवार होके
यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले
कौन जाने सपनों के उपवन है कैसे
हर कोई सफ़र करें पर रुके कैसे
यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले
उम्मीद बेकरारीमें आहे भरती दिखें
आश फिर भी हाथों से सरकती दिखें
यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले
संसार की माया मोहिनी अप्सरा सी लागे
सत्य जानकर भी वो मनभावन सी लागे
यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले
उलझे उलझे जज़बात है उलझते
जीवन पर्याप्त जैसे है बेहद सुलगते
यूँ तो मिलने को हजारों ख़्याल मिले