कोई साथ न दे तो क्या
चलना तो पड़ता हीं है
जीवन के रास्तों को
नापना हीं पड़ता है।
है ये जीवन चक्र
चलता निरंतर
अनंतर इसमें चलना हीं
पड़ता है।
क्या शाम सवेरा
क्या महल
क्या फुटपाथ
रैनबसेरा
हर पल बढ़ते हीं
रहना पड़ता है।
कोई लाख बचे पर बच
न पाए
सब को मोह माया के गढ्ढों
में भी उतरना पड़ता हैं।
मैं मेरा अपना तेरा
सब करना पड़ता है।
बड़ी हीं अजीब हैं
ये जीवन की राहें
बेवफ़ा बेमुरौवत सब को
बनना भी पड़ता है।
है ये जिंदगी इम्तहानों भरीं
जीने के के लिए इसमें
सबको पास भी करना
पड़ता है।
जो हैं फेल अयोग्य
उनको भी लड़ना पड़ता है
हैं ये जीवन की राहें
कितनी भी कठिन तो क्या
दिन रात चारों पहर
इनपे सबको चलना हीं
पड़ता है
सबको चलना हीं पड़ता है...
सबको बढ़ना हीं पड़ता है..